– मन्जुला शर्मा, सेंधवा जिला बड़वानी, मध्यप्रदेश, दिव्यालय साधिका
कहाँ ढूंढते हो ईश्वर को , सुन लो कहती खोलो कान ।
घूम रहे धरती पर देखो , रूप चिकित्सक में भगवान ।।
करें समर्पण अपना जीवन , सेवा में रहते दिन रात ।
मन स्तिथि समझे ये रोगी की , खुलकर करते हैं ये बात ।।
नही संक्रमण की कर चिंता , खेलें ये खुद अपनी जान ।
घूम रहे धरती पर देखो , रूप चिकित्सक में भगवान ।।
जन्म मरण के रहते साक्षी , समझे ये दुखियों का दर्द ।
कोई मौसम रोक न पाता , बारिश गर्म हवा हो सर्द ।।
भूखे प्यासे कर्म निभाते , करें हृदय से हम सम्मान ।
घूम रहे धरती पर देखो , रूप चिकित्सक में भगवान ।।
कोई असाध्य हो बीमारी , बन जाते ये उनकी ढाल ।
भावुक हो कर भाव छुपाते , नई खोज कर करें कमाल ।।
जीवन की है आस बँधातें , समाधान करते हैं शान ।।
घूम रहे धरती पर देखो , रूप चिकित्सक में भगवान ।।