– प्रवेश गोप
कयामत अपना हो या पराया हो !
वक्त ए नजाकत का हाल है आखिर !!
मामला कस्बे का हो या महफिल का !
आफत अपने आलम का है आखिर !!
जलालत घर पे हो या सरहद पे !
रूह ए इंसान जख्म खाती है आखिर !
औरों का खेत जले या अपनों का !
जलन ए जमीन तिलमिलाती है आखिर !!
अस्त्र ए शस्त्र आगे बढ़े या पीछे हटे !
गोद ए धरती ही सूनी होती है आखिर !!
गम ए शोक का हो या जश्न ए जीत का !
कयामत पे जिंदगी तड़पती है आखिर !!