नैतिक शिक्षा समय की मांग 

– केसर कल्पवृक्ष 

असल में नैतिक शिक्षा हर समय की मांग है 

लेकिन समय-समय पर नैतिक शिक्षा क्यों लगता है कि अब जरूरी है इसका कारण है जो अनैतिक लोग है, वह अपने काम में जब बहुत ज्यादा लग जाते हैं, लोगों को अनैतिक बनाने में, लोगों को अनैतिक बनाकर के उनका शोषण करने लगते हैं तब नैतिक पक्ष को लगता है कि कि लोगों का शोषण हो रहा है I बहुत कम लोग समाज में है जो नैतिक है, जो इन शोषण करने वालों  के खिलाफ लड़ सकते हैं, तब समाज में मांग उठती है नैतिकता की 

जब लोगों का समाज में नैतिकता को लेकर के मांग उठती है, जरूरत दिखती है नैतिकता की, लगता है कि नैतिकता ही हमें बचा सकता है और जब समाज को लगने लगता है कि नैतिकता की अब जरूरत है तब समाज नैतिकता को धारण करता है और उसमें से कुछ लोग ऐसे निकलते हैं जो अनैतिकता का खात्मा कर देते हैं तो अगर समाज को लगता है कि नैतिकता के बिना अब हमारा काम नहीं चल सकता है तो नैतिक शिक्षा की व्यवस्था हमें करनी चाहिए तो कौन से इशारे हैं समाज के जिससे पता चलता है कि अब नैतिक शिक्षा की बहुत जरूरत है 

1.  जो जिम्मेदार व्यक्ति होता है समाज के उत्थान के लिए वही अपने निर्भर लोगों का जब शोषण करने लगे 

जैसे एक डॉक्टर  समाज में लोगों के स्वास्थ्य के लिए  जिम्मेदार है लेकिन इस जिम्मेदारी को भूल करके डॉक्टर अब यह समझता है कि केवल और केवल पैसा कमाना ही मेरी जिम्मेदारी है और इस पैसे के लिए वह गरीब लोगों का इलाज नहीं करता है,  जो पैसा नहीं दे सकता है उसको तो कभी देखता नहीं है, पैसे के लिए मां के पेट में जो शिशु होता है उसको भी  नष्ट करने से परहेज नहीं करता है पैसे के लिए, जरूरत नहीं ऑपरेशन की लेकिन व्यक्ति की किडनी लीवर को बदलने से भी नहीं चूकता है, व्यक्ति मर रहा है और वह जानता है कि मैं इसे नहीं बचा सकता लेकिन किसी और डॉक्टर के पास नहीं भेजता है ताकि हमारा बिल बने और हम पैसा कमा सके ऐसे और भी अनेक बातें हैं तब लगता है कि नैतिक शिक्षा की जरूरत है 

2. शिक्षक जो समाज को बलवान बनाता है, समाज की आधारशिला रखता है, और नैतिकता जिसका आदर्श होता है वह अपने छात्रों का ही शोषण करने लगता है I अब शिक्षक इतने अनैतिक हो गए हैं कि अपने छात्रों से दुष्कर्म करने से भी नहीं चूकते हैं और समाज को डर लगने लगा है शिक्षकों से भी, जिन पर आंख मूंद करके भरोसा किया जाता था 

तब लगता है नैतिक शिक्षा की जरूरत है 

3. साधु जो समाज की आधारशिला है वह केवल और केवल भोग विलास में लग गए हैं, अपने आश्रमों  में केवल आराम कर रहे हैं जिन्हें ईश्वर का दूत कहा जाता है और समाज सोचता है कि यह व्यक्ति कभी भी शोषण होते हुए नहीं देख सकेगा I समाज को हमेशा शोषण से मुक्त रखेगा वह लोग शोषण करने में लग जाते हैं और शोषण होता भी है तो आंख मूढ़ लेते हैंतब लगता है नैतिक शिक्षा की जरूरत है 

इसी तरह हर जिम्मेदार व्यक्ति जब केवल और केवल अपने व्यक्तिगत लाभ की बात सोचने लगता है 

तब लगता है नैतिक शिक्षा की जरूरत है क्योंकि इस समाज से ही शिक्षक, डॉक्टर  साधु और जितने भी जिम्मेदार व्यक्तित्व है सारे के सारे निकलते हैं तो जब समाज नैतिक होगा तो यह लोग भी नैतिक होंगे I 

हमें बहुत तेजी से नैतिक शिक्षा समाज में प्रारंभ करना चाहिए क्योंकि जिससे समाज अनैतिक बनता है वह शिक्षा बहुत ही तेजी से फैल रही है और पानी अब सर से ऊपर जाने वाला है 

तो पूरे का पूरा समाज खत्म हो इससे पहले हमें अपने प्रयास तेज कर देने चाहिए क्योंकि किसी के प्रयासों के कारण ही यह समाज अनैतिक हुआ है तो किसी के प्रयासों के कारण ही यह समाज नैतिक भी होगा 

 

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